فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الرِّجْزَ إِلَىٰ أَجَلٍ هُمْ بَالِغُوهُ إِذَا هُمْ يَنْكُثُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
किन्तु जब हम उनपर से यातना को एक नियत समय के लिए जिस तक वे पहुँचनेवाले ही थे, हटा लेते तो क्या देखते कि वे वचन-भंग करने लग गए
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
फिर जब हम उनसे उस वक्त क़े वास्ते जिस तक वह ज़रूर पहुँचते अज़ाब को हटा लेते तो फिर फौरन बद अहदी करने लगते
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