وَاكْتُبْ لَنَا فِي هَٰذِهِ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ إِنَّا هُدْنَا إِلَيْكَ ۚ قَالَ عَذَابِي أُصِيبُ بِهِ مَنْ أَشَاءُ ۖ وَرَحْمَتِي وَسِعَتْ كُلَّ شَيْءٍ ۚ فَسَأَكْتُبُهَا لِلَّذِينَ يَتَّقُونَ وَيُؤْتُونَ الزَّكَاةَ وَالَّذِينَ هُمْ بِآيَاتِنَا يُؤْمِنُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"और हमारे लिए इस संसार में भलाई लिख दे और आख़िरत में भी। हम तेरी ही ओर उन्मुख हुए।" उसने कहा, "अपनी यातना में मैं तो उसी को ग्रस्त करता हूँ, जिसे चाहता हूँ, किन्तु मेरी दयालुता से हर चीज़ आच्छादित है। उसे तो मैं उन लोगों के हक़ में लिखूँगा जो डर रखते और ज़कात देते है और जो हमारी आयतों पर ईमान लाते है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और तू ही इस दुनिया (फ़ानी) और आख़िरत में हमारे वास्ते भलाई के लिए लिख ले हम तेरी ही तरफ रूझू करते हैं ख़ुदा ने फरमाया जिसको मैं चाहता हूँ (मुस्तहक़ समझकर) अपना अज़ाब पहुँचा देता हूँ और मेरी रहमत हर चीज़ पर छाई हैं मै तो उसे बहुत जल्द ख़ास उन लोगों के लिए लिख दूँगा (जो बुरी बातों से) बचते रहेंगे और ज़कात दिया करेंगे और जो हमारी बातों पर ईमान रखा करेंगें