وَإِذْ قَالَتْ أُمَّةٌ مِنْهُمْ لِمَ تَعِظُونَ قَوْمًا ۙ اللَّهُ مُهْلِكُهُمْ أَوْ مُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِيدًا ۖ قَالُوا مَعْذِرَةً إِلَىٰ رَبِّكُمْ وَلَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और जब उनके एक गिरोह ने कहा, "तुम ऐसे लोगों को क्यों नसीहत किए जा रहे हो, जिन्हें अल्लाह विनष्ट करनेवाला है या जिन्हें वह कठोर यातना देनेवाला है?" उन्होंने कहा, "तुम्हारे रब के समक्ष अपने को निरपराध सिद्ध करने के लिए, और कदाचित वे (अवज्ञा से) बचें।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और जब उनमें से एक जमाअत ने (उन लोगों में से जो शुम्बे के दिन शिकार को मना करते थे) कहा कि जिन्हें ख़ुदा हलाक़ करना या सख्त अज़ाब में मुब्तिला करना चाहता है उन्हें (बेफायदे) क्यो नसीहत करते हो तो वह कहने लगे कि फक़त तुम्हारे परवरदिगार में (अपने को) इल्ज़ाम से बचाने के लिए यायद इसलिए कि ये लोग परहेज़गारी एख्तियार करें