قُلْ إِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّيَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْإِثْمَ وَالْبَغْيَ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَأَنْ تُشْرِكُوا بِاللَّهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهِ سُلْطَانًا وَأَنْ تَقُولُوا عَلَى اللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
कह दो, "मेरे रब ने केवल अश्लील कर्मों को हराम किया है - जो उनमें से प्रकट हो उन्हें भी और जो छिपे हो उन्हें भी - और हक़ मारना, नाहक़ ज़्यादती और इस बात को कि तुम अल्लाह का साझीदार ठहराओ, जिसके लिए उसने कोई प्रमाण नहीं उतारा और इस बात को भी कि तुम अल्लाह पर थोपकर ऐसी बात कहो जिसका तुम्हें ज्ञान न हो।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज्यादती करने को हराम किया है और इस बात को कि तुम किसी को ख़ुदा का शरीक बनाओ जिनकी उनसे कोई दलील न ही नाज़िल फरमाई और ये भी कि बे समझे बूझे ख़ुदा पर बोहतान बॉधों