وَنَادَىٰ أَصْحَابُ الْأَعْرَافِ رِجَالًا يَعْرِفُونَهُمْ بِسِيمَاهُمْ قَالُوا مَا أَغْنَىٰ عَنْكُمْ جَمْعُكُمْ وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और ये ऊँचाइयोंवाले कुछ ऐसे लोगों से, जिन्हें ये उनके लक्षणों से पहचानते हैं, कहेंगे, "तुम्हारे जत्थे तो तुम्हारे कुछ काम न आए और न तुम्हारा अकड़ते रहना ही।
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और आराफ वाले कुछ (जहन्नुमी) लोगों को जिन्हें उनका चेहरा देखकर पहचान लेगें आवाज़ देगें और और कहेगें अब न तो तुम्हारा जत्था ही तुम्हारे काम आया और न तुम्हारी शेखी बाज़ी ही (सूद मन्द हुई)