كَلَّا إِذَا بَلَغَتِ التَّرَاقِيَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
कुछ नहीं, जब प्राण कंठ को आ लगेंगे,
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
सुन लो जब जान (बदन से खिंच के) हँसली तक आ पहुँचेगी
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