أَلَمْ يَكُ نُطْفَةً مِنْ مَنِيٍّ يُمْنَىٰ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या वह केवल टपकाए हुए वीर्य की एक बूँद न था?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
क्या वह (इब्तेदन) मनी का एक क़तरा न था जो रहम में डाली जाती है
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