هَلْ أَتَىٰ عَلَى الْإِنْسَانِ حِينٌ مِنَ الدَّهْرِ لَمْ يَكُنْ شَيْئًا مَذْكُورًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या मनुष्य पर काल-खंड का ऐसा समय भी बीता है कि वह कोई ऐसी चीज़ न था जिसका उल्लेख किया जाता?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
बेशक इन्सान पर एक ऐसा वक्त अा चुका है कि वह कोई चीज़ क़ाबिले ज़िक्र न था