عَيْنًا يَشْرَبُ بِهَا عِبَادُ اللَّهِ يُفَجِّرُونَهَا تَفْجِيرًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
उस स्रोत का क्या कहना! जिस पर बैठकर अल्लाह के बन्दे पिएँगे, इस तरह कि उसे बहा-बहाकर (जहाँ चाहेंगे) ले जाएँगे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और जहाँ चाहेंगे बहा ले जाएँगे
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