إِنَّهَا تَرْمِي بِشَرَرٍ كَالْقَصْرِ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
निस्संदेह वे (ज्वालाएँ) महल जैसी (ऊँची) चिंगारियाँ फेंकती है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
उससे इतने बड़े बड़े अंगारे बरसते होंगे जैसे महल
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