وَالصُّبْحِ إِذَا تَنَفَّسَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और साक्षी है प्रातः जब वह साँस ले
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और सुबह की क़सम जब रौशन हो जाए
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