وَلَقَدْ رَآهُ بِالْأُفُقِ الْمُبِينِ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
उसने तो (पराकाष्ठान के) प्रत्यक्ष क्षितिज पर होकर उस (फ़रिश्ते) को देखा है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और बेशक उन्होनें जिबरील को (आसमान के) खुले (शरक़ी) किनारे पर देखा है
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