لَقَدْ تَابَ اللَّهُ عَلَى النَّبِيِّ وَالْمُهَاجِرِينَ وَالْأَنْصَارِ الَّذِينَ اتَّبَعُوهُ فِي سَاعَةِ الْعُسْرَةِ مِنْ بَعْدِ مَا كَادَ يَزِيغُ قُلُوبُ فَرِيقٍ مِنْهُمْ ثُمَّ تَابَ عَلَيْهِمْ ۚ إِنَّهُ بِهِمْ رَءُوفٌ رَحِيمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
अल्लाह नबी पर मेहरबान हो गया और मुहाजिरों और अनसार पर भी, जिन्होंने तंगी की घड़ी में उसका साथ दिया, इसके पश्चात कि उनमें से एक गिरोह के दिल कुटिलता की ओर झुक गए थे। फिर उसने उनपर दया-दृष्टि दर्शाई। निस्संदेह, वह उनके लिए अत्यन्त करुणामय, दयावान है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
अलबत्ता ख़ुदा ने नबी और उन मुहाजिरीन अन्सार पर बड़ा फज़ल किया जिन्होंने तंगदस्ती के वक्त रसूल का साथ दिया और वह भी उसके बाद कि क़रीब था कि उनमे ंसे कुछ लोगों के दिल जगमगा जाएँ फिर ख़ुदा ने उन पर (भी) फज़ल किया इसमें शक़ नहीं कि वह उन लोगों पर पड़ा तरस खाने वाला मेहरबान है