لَا تَعْتَذِرُوا قَدْ كَفَرْتُمْ بَعْدَ إِيمَانِكُمْ ۚ إِنْ نَعْفُ عَنْ طَائِفَةٍ مِنْكُمْ نُعَذِّبْ طَائِفَةً بِأَنَّهُمْ كَانُوا مُجْرِمِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"बहाने न बनाओ, तुमने अपने ईमान के पश्चात इनकार किया। यदि हम तुम्हारे कुछ लोगों को क्षमा भी कर दें तो भी कुछ लोगों को यातना देकर ही रहेंगे, क्योंकि वे अपराधी हैं।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
अब बातें न बनाओं हक़ तो ये हैं कि तुम ईमान लाने के बाद काफ़िर हो बैठे अगर हम तुममें से कुछ लोगों से दरगुज़र भी करें तो हम कुछ लोगों को सज़ा ज़रूर देगें इस वजह से कि ये लोग कुसूरवार ज़रूर हैं