الَّذِينَ يَلْمِزُونَ الْمُطَّوِّعِينَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ فِي الصَّدَقَاتِ وَالَّذِينَ لَا يَجِدُونَ إِلَّا جُهْدَهُمْ فَيَسْخَرُونَ مِنْهُمْ ۙ سَخِرَ اللَّهُ مِنْهُمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जो लोग स्वेच्छापूर्वक देनेवाले मोमिनों पर उनके सदक़ो (दान) के विषय में चोटें करते है और उन लोगों का उपहास करते है, जिनके पास इसके सिवा कुछ नहीं जो वे मशक़्क़त उठाकर देते है, उन (उपहास करनेवालों) का उपहास अल्लाह ने किया और उनके लिए दुखद यातना है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जो लोग दिल खोलकर ख़ैरात करने वाले मोमिनीन पर (रियाकारी का) और उन मोमिनीन पर जो सिर्फ अपनी शफ़क़क़्त (मेहनत) की मज़दूरी पाते (शेख़ी का) इल्ज़ाम लगाते हैं फिर उनसे मसख़रापन करते तो ख़ुदा भी उन से मसख़रापन करेगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है