أَلَمْ يَجِدْكَ يَتِيمًا فَآوَىٰ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या ऐसा नहीं कि उसने तुम्हें अनाथ पाया तो ठिकाना दिया?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
क्या उसने तुम्हें यतीम पाकर (अबू तालिब की) पनाह न दी (ज़रूर दी)
: