وَمَا مَنَعَنَا أَنْ نُرْسِلَ بِالْآيَاتِ إِلَّا أَنْ كَذَّبَ بِهَا الْأَوَّلُونَ ۚ وَآتَيْنَا ثَمُودَ النَّاقَةَ مُبْصِرَةً فَظَلَمُوا بِهَا ۚ وَمَا نُرْسِلُ بِالْآيَاتِ إِلَّا تَخْوِيفًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
हमें निशानियाँ (देकर नबी को) भेजने से इसके सिवा किसी चीज़ ने नहीं रोका कि पहले के लोग उनको झुठला चुके है। और (उदाहरणार्थ) हमने समूद को स्पष्ट प्रमाण के रूप में ऊँटनी दी, किन्तु उन्होंने ग़लत नीति अपनाकर स्वयं ही अपनी जानों पर ज़ुल्म किया। हम निशानियाँ तो डराने ही के लिए भेजते है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और हमें मौजिज़ात भेजने से किसी चीज़ ने नहीं रोका मगर इसके सिवा कि अगलों ने उन्हें झुठला दिया और हमने क़ौमे समूद को (मौजिज़े से) ऊँटनी अता की जो (हमारी कुदरत की) दिखाने वाली थी तो उन लोगों ने उस पर ज़ुल्म किया यहाँ तक कि मार डाला और हम तो मौजिज़े सिर्फ डराने की ग़रज़ से भेजा करते हैं
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