وَقَالُوا مَا لَنَا لَا نَرَىٰ رِجَالًا كُنَّا نَعُدُّهُمْ مِنَ الْأَشْرَارِ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और वे कहेंगे, "क्या बात है कि हम उन लोगों को नहीं देखते जिनकी गणना हम बुरों में करते थे?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और (फिर) खुद भी कहेगें हमें क्या हो गया है कि हम जिन लोगों को (दुनिया में) शरीर शुमार करते थे हम उनको यहाँ (दोज़ख़) में नहीं देखते
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