إِذَا رُجَّتِ الْأَرْضُ رَجًّا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जब धरती थरथराकर काँप उठेगी;
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जब ज़मीन बड़े ज़ोरों में हिलने लगेगी
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