يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا نَاجَيْتُمُ الرَّسُولَ فَقَدِّمُوا بَيْنَ يَدَيْ نَجْوَاكُمْ صَدَقَةً ۚ ذَٰلِكَ خَيْرٌ لَكُمْ وَأَطْهَرُ ۚ فَإِنْ لَمْ تَجِدُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम रसूल से अकेले में बात करो तो अपनी गुप्त वार्ता से पहले सदक़ा दो। यह तुम्हारे लिए अच्छा और अधिक पवित्र है। फिर यदि तुम अपने को इसमें असमर्थ पाओ, तो निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ऐ ईमानदारों जब पैग़म्बर से कोई बात कान में कहनी चाहो तो कुछ ख़ैरात अपनी सरगोशी से पहले दे दिया करो यही तुम्हारे वास्ते बेहतर और पाकीज़ा बात है पस अगर तुमको इसका मुक़दूर न हो तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
: