وَلَوْ أَنَّنَا نَزَّلْنَا إِلَيْهِمُ الْمَلَائِكَةَ وَكَلَّمَهُمُ الْمَوْتَىٰ وَحَشَرْنَا عَلَيْهِمْ كُلَّ شَيْءٍ قُبُلًا مَا كَانُوا لِيُؤْمِنُوا إِلَّا أَنْ يَشَاءَ اللَّهُ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ يَجْهَلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
यदि हम उनकी ओर फ़रिश्ते भी उतार देते और मुर्दें भी उनसे बातें करने लगते और प्रत्येक चीज़ उनके सामने लाकर इकट्ठा कर देते, तो भी वे ईमान न लाते, बल्कि अल्लाह ही का चाहा क्रियान्वित है। परन्तु उनमें से अधिकतर लोग अज्ञानता से काम लेते है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और (ऐ रसूल सच तो ये है कि) हम अगर उनके पास फरिश्ते भी नाज़िल करते और उनसे मुर्दे भी बातें करने लगते और तमाम (मख़फ़ी(छुपी)) चीज़ें (जैसे जन्नत व नार वग़ैरह) अगर वह गिरोह उनके सामने ला खड़े करते तो भी ये ईमान लाने वाले न थे मगर जब अल्लाह चाहे लेकिन उनमें के अक्सर नहीं जानते