وَقَالُوا هَٰذِهِ أَنْعَامٌ وَحَرْثٌ حِجْرٌ لَا يَطْعَمُهَا إِلَّا مَنْ نَشَاءُ بِزَعْمِهِمْ وَأَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُورُهَا وَأَنْعَامٌ لَا يَذْكُرُونَ اسْمَ اللَّهِ عَلَيْهَا افْتِرَاءً عَلَيْهِ ۚ سَيَجْزِيهِمْ بِمَا كَانُوا يَفْتَرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और वे कहते है, "ये जानवर और खेती वर्जित और सुरक्षित है। इन्हें तो केवल वही खा सकता है, जिसे हम चाहें।" - ऐसा वे स्वयं अपने ख़याल से कहते है - और कुछ चौपाए ऐसे है, जिनकी पीठों को (सवारी के लिए) हराम ठहरा लिया है और कुछ जानवर ऐसे है जिनपर अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह यह उन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़ा है, और वह शीघ्र ही उन्हें उनके झूठ घड़ने का बदला देगा
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
उनको सिवा उसके जिसे हम चाहें कोई नहीं खा सकता और (उनका ये भी ख्याल है) कि कुछ चारपाए ऐसे हैं जिनकी पीठ पर सवारी लादना हराम किया गया और कुछ चारपाए ऐसे है जिन पर (ज़िबह के वक्त) ख़ुदा का नाम तक नहीं लेते और फिर यह ढकोसले (ख़ुदा की तरफ मनसूब करते) हैं ये सब ख़ुदा पर इफ़तेरा व बोहतान है ख़ुदा उनके इफ़तेरा परदाज़ियों को बहुत जल्द सज़ा देगा