وَهَٰذَا كِتَابٌ أَنْزَلْنَاهُ مُبَارَكٌ مُصَدِّقُ الَّذِي بَيْنَ يَدَيْهِ وَلِتُنْذِرَ أُمَّ الْقُرَىٰ وَمَنْ حَوْلَهَا ۚ وَالَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِالْآخِرَةِ يُؤْمِنُونَ بِهِ ۖ وَهُمْ عَلَىٰ صَلَاتِهِمْ يُحَافِظُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
यह किताब है जिसे हमने उतारा है; बरकतवाली है; अपने से पहले की पुष्टि में है (ताकि तुम शुभ-सूचना दो) और ताकि तुम केन्द्रीय बस्ती (मक्का) और उसके चतुर्दिक बसनेवाले लोगों को सचेत करो और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते है, वे इसपर भी ईमान लाते है। और वे अपनी नमाज़ की रक्षा करते है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
उसके बाद उन्हें छोड़ के (पडे झक मारा करें (और) अपनी तू तू मै मै में खेलते फिरें और (क़ुरान) भी वह किताब है जिसे हमने बाबरकत नाज़िल किया और उस किताब की तसदीक़ करती है जो उसके सामने (पहले से) मौजूद है और (इस वास्ते नाज़िल किया है) ताकि तुम उसके ज़रिए से अहले मक्का और उसके एतराफ़ के रहने वालों को (ख़ौफ ख़ुदा से) डराओ और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं वह तो उस पर (बे ताम्मुल) ईमान लाते है और वही अपनी अपनी नमाज़ में भी पाबन्दी करते हैं
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