وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرَىٰ عَلَى اللَّهِ كَذِبًا أَوْ قَالَ أُوحِيَ إِلَيَّ وَلَمْ يُوحَ إِلَيْهِ شَيْءٌ وَمَنْ قَالَ سَأُنْزِلُ مِثْلَ مَا أَنْزَلَ اللَّهُ ۗ وَلَوْ تَرَىٰ إِذِ الظَّالِمُونَ فِي غَمَرَاتِ الْمَوْتِ وَالْمَلَائِكَةُ بَاسِطُو أَيْدِيهِمْ أَخْرِجُوا أَنْفُسَكُمُ ۖ الْيَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُونِ بِمَا كُنْتُمْ تَقُولُونَ عَلَى اللَّهِ غَيْرَ الْحَقِّ وَكُنْتُمْ عَنْ آيَاتِهِ تَسْتَكْبِرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्यारोपण करे या यह कहे कि "मेरी ओर प्रकाशना (वह्य,) की गई है," हालाँकि उसकी ओर भी प्रकाशना न की गई हो। और वह व्यक्ति से (बढ़कर अत्याचारी कौन होगा) जो यह कहे कि "मैं भी ऐसी चीज़ उतार दूँगा, जैसी अल्लाह ने उतारी है।" और यदि तुम देख सकते, तुम अत्याचारी मृत्यु-यातनाओं में होते है और फ़रिश्ते अपने हाथ बढ़ा रहे होते है कि "निकालो अपने प्राण! आज तुम्हें अपमानजनक यातना दी जाएगी, क्योंकि तुम अल्लाह के प्रति झूठ बका करते थे और उसकी आयतों के मुक़ाबले में अकड़ते थे।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और उससे बढ़ कर ज़ालिम कौन होगा जो ख़ुदा पर झूठ (मूठ) इफ़तेरा करके कहे कि हमारे पास वही आयी है हालॉकि उसके पास वही वगैरह कुछ भी नही आयी या वह शख़्श दावा करे कि जैसा क़ुरान ख़ुदा ने नाज़िल किया है वैसा मै भी (अभी) अनक़रीब (जल्दी) नाज़िल किए देता हूँ और (ऐ रसूल) काश तुम देखते कि ये ज़ालिम मौत की सख्तियों में पड़ें हैं और फरिश्ते उनकी तरफ (जान निकाल लेने के वास्ते) हाथ लपका रहे हैं और कहते जाते हैं कि अपनी जानें निकालो आज ही तो तुम को रुसवाई के अज़ाब की सज़ा दी जाएगी क्योंकि तुम ख़ुदा पर नाहक़ (नाहक़) झूठ छोड़ा करते थे और उसकी आयतों को (सुनकर उन) से अकड़ा करते थे
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