وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और न मुहताज को खाना खिलाने पर उभारता था
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो आज न उसका कोई ग़मख्वार है
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