أَيَحْسَبُ الْإِنْسَانُ أَنْ يُتْرَكَ سُدًى
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या मनुष्य समझता है कि वह यूँ ही स्वतंत्र छोड़ दिया जाएगा?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
क्या इन्सान ये समझता है कि वह यूँ ही छोड़ दिया जाएगा
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